कभी कोशिश की है

क्या कभी कोशिश की है

रात के अहसास को महसूस करने की

क्या कभी कोशिश की है

इसके सन्नाटे के पीछे छिपे संगीत को सुनने की

अगर कभी करो तो पता चलेगा

कि कितनी मधुर है ये रात

कितनी शांत कितनी शीतल

हर ज़र्रे को महकाने वाली

कवि की लिखी कविता है ये रात

अपने आग़ोश में

तमाम सवालों तमाम नसीहतों को

थकाकर सुलाने वाली

हमदर्द है ये रात

अपने लहराते गुनगुनाते मंद

पवन के झोंको से

स्पर्श करने वाली

एक अपनेपन का एहसास है ये रात

बच्चे की जिद को पूरी करते

एक झट से पानी में

उतरते चाँद की

चाँदनी को

उसका ग़ुरूर देने वाली

एक सच्ची सुंदर दोस्ती है ये रात

एक नन्हा अपनी उँगलियों में तारों को गिनता

टूटते तारों में एक प्यारी सी ख़्वाहिश करता

ताउम्र उन बचपन के खिलौनों को सहेजने वाली

हल्की सी मुस्कान की वजह हैये रात

क्या कभी कोशिश की है

रात के अहसास को महसूस करने की

क्या कभी कोशिश की है

इसके सन्नाटे के पीछे छिपे संगीत को सुनने की

-Tinkoo bansal

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